खूंखार अपराधी माफिया, राजनेताओं के संरक्षण में अवैध गतिविधियों में लिप्त उद्योगपति, रक्षक के बजाय भक्षक बन चुकी पुलिस, सिफारिश व रिश्वत के आधार पर काम करने वाला प्रशासन, भ्रष्ट न्यायपालिका, सनसनी फैलाकर अपनी प्रसार संख्या बढ़ाने और सत्ता के दबाव में आकर या उससे सुविधा पाने की चाह में ऐन वक्त पर घुटने टेक देने वाला प्रेस-मीडिया और इन सबके अपवित्र गठजोड़ के बल पर सत्ता के शीर्ष पर काबिज राजनेताओं की करतूतें चाहे भारत की हों या मारीशस की, हमारे लिए नई नहीं हैं।